धन
आपदर्थे
धनं
रक्षेद दारान रक्षेद धनैरपि
!
आत्मान सतत
रक्षेद दारैरपि धनैरपि !!
विपति के समय काम आने वाले धन की रक्षा करें !धन से स्त्री की रक्षा करें और अपनी रक्षा धन और स्त्री से सदा करें !
चाणक्य
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुखपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें