सत्य और सत्य
सत्य को ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए। --
स्वामी दयानंद सरस्वती
1 टिप्पणी:
Rakesh Kumar
ने कहा…
मानसी जी आपने सुन्दर सारगर्भित वचन प्रस्तुत किये हैं.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
जुलाई 24, 2011 10:12 pm
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
मानसी जी आपने सुन्दर सारगर्भित वचन प्रस्तुत किये हैं.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
एक टिप्पणी भेजें