प्रेम
जो प्रेम करता है वह जीता है, जो स्वार्थी है वह मर रहा है इसलिए प्रेम से प्रेम करो क्योंकि जीने का यही एकमात्र सिद्धांत है, वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो। ----
स्वामी विवेकानन्द
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