श्रेष्ठता
वास्तव में वे ही लोग श्रेष्ठ है जिनके हृदय में दया और धर्म बसता है जो अमृत वाणी बोलते है तथा जिनके नेत्र नम्रता से नीचे रहते है1 ---
मलूकदास
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